सुस्ती व आलस्य एक ऐसी चीज़ है जो इंसान को किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ने देती है। जो व्यक्ति
आलसी होता है वह लगभग हर कार्य करने में
यथासंभव टाल- मटोल की कोशिश करता है और उसका परिणाम यह होता है कि जीवन के किसी भी मैदान में सफल नहीं हो
पाता है। आलस्य एसी बुरी चीज़ है जो
इंसान के व्यक्तित्व को कुचल देती है और जीवन का स्वर्णिम समय अर्थहीन कार्यों में चला जाता है। परिणाम स्वरूप
वह अपने जीवन में पीछे रह जाता है।
आलस्य एक ऐसी ज़ंजीर है जिसकी एक कड़ी दूसरी कड़ी से मिली होती है और वह इंसान के हाथ पैर बांध देती है। जब
आलसी इंसान एक कार्य अंजाम देने में
सुस्ती से काम लेता है तो समय नहीं गुज़रता कि वह दूसरे कार्य को भी अंजाम देने में सुस्ती से काम लेता है। इंसान
की यह आदत जारी रहती है यहां तक कि वह
समाज एवं परिवार के एक अपंग अंग में परिवर्तित हो जाता है।